Tuesday, 31 May 2016
Gayatri Mantra
23:22:00
|| गायत्री
मंत्र ||
Gayatri Mantra
ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
गायत्री
मंत्र का अर्थ: Meaning of Gayatri Mantra in Hindi:-
कब करें गायत्री मंत्र का जाप:-
यूं तो इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए-
* प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक
* फिर दोबारा दोपहर को
गायत्री मंत्र के फायदे :Benefits of Gayatri Mantra:-
हिन्दू
धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है। कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज़ होती है।
गायत्री मन्त्र के जप से हमारे द्वारा किये गए पापों का नाश होता है,और मन की शांति भी प्राप्त होती है,और बोद्धिक विकास भी होता है,शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है |
गायत्री मन्त्र के जप से हमारे द्वारा किये गए पापों का नाश होता है,और मन की शांति भी प्राप्त होती है,और बोद्धिक विकास भी होता है,शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है |
श्री गणेश आरती
15:06:00
|| गणेश जी की आरती ||
Shri Ganesh Ji Ki Aarti
श्री सिद्धिविनायक की आराधना करने से सारे संकट दूर हो जाते है, प्रथम पूज्य देव की आराधना से सारे मनोरथ सिद्ध हो जाते है |
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय...
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय...
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय...
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥ जय...
Saturday, 21 May 2016
देश हुआ शर्मसार?
12:26:00
अफ़्रीकी युवक को पीट पीट कर मार डाला
अथिति
देवो भव कहने वाले हमारे देश के नागरिक न जाने इन शब्दों क्या अर्थ का लगाते है?संस्कृति
को धूमिल करने और भारतीय रिवाजों को आलोचना पूर्ण बनाने वाले ये भी नहीं सोचते कि
सभ्यता
और संस्कारो की मिसाल देने वाले भारत के संस्कारो को मिथ्या बनाने का कार्य इन्ही
लोगो
के
द्वारा करित किया जा रहा है |
आये दिनों नए नए प्रलेखो में ऐसे न जाने कितनी
घटनाये सामने आती है जो हमारी सभ्यता को धूमिल
करती हैं |
जैसा की हाल ही मे अभी अफ़्रीकी युवक की मौत की
घटना सामने आई है, इस युवक की हत्या दिल्ली के कुछ नव युवको ने बेरहमी कर दी । इस तरह की घटनाओ से हमारे समाज की किस तरह की छवि अन्य देशो पर पड़ेगी ?
यह
युवक अफ्रीका के कागों का मूल निवासी था। इस की उम्र तक़रीबन २३ वर्ष थी । यह दिल्ली
के साऊथ एक्स में अपने दोस्त साथ रहता था और फ्रेंच भाषा का टीचर था । किशनगढ़ मे अपने
दोस्त से मिल कर वापस आने के लिए ऑटो कर रहा था उस समय उसका दोस्त सेम भी मौका-ए-वारदात
पर मौजूद था, तभी कुछ अनजान तीन युवको से ऑटो को लेकर बहस शुरू हो गयी वें उसी ऑटो से महरौली जाना चाहते थे, बहस साथ साथ ही
मर पीट भी शूरू कर दी। उन्हों ने उस अफ़्रीकी युवक को २० मीटर तक घसीटे हुए पत्थरों और लाठियों
से उसे मारा कर उसे मृत समझ कर घटना स्थल से भगाए, पुलिस
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी (D.C.P)
श्री ईश्वर सिंह जी ने बताया की यह घटना शुक्रवार को करीबन रात ११.३० को घटित हुई | सीसीटीवी
कैमरे मे कैद होने के कारण उन आरोपियों मे से मुख्य आरोपी मोबिन आज़ाद को अपनी
गिरफ्त मे ले लिया गया है, और बाकि अन्य दो युवको की खोज जारी है|
इस हादसे के बाद अफ्रीका के नागरिक बहुत
डरे हुए और सहमे से हैं। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश जारी रखे है |
कहा जाता है कि अनजान देश मे और अनजान लोग से
उचित दूरी बनाके रखने को माँ-बाप क्यों कहते है, क्यों की हमारे समाज मे आज भी इन
मोबिन आज़ाद जैसे आरोपी है ,जो अन्य देश से आये लोग की मदद कर के उन पर अपना आक्रोश दिखाते है ।बुराई हमारे द्वारा ही उत्पन्न की जाती है, पर जब वही बुराई हमारे साथ खुद घटित
होती है तो हम उन लोगो को दोष देते है जो बुरा करते है ।
जब बोये पेड़ बबूल के तो आम कहा से खाओगे शायद इस मुहावरे को दिल्ली की जनता भूलती
जा रही है, ये किसा आज का नही न जाने कितने सालो से हम ऐसे दुस्कृत करते आ रहे है और इसे
ना जाने क्या क्या नाम देते आ रहे है कभी
धर्म, कभी नस्लीय हिंसा कभी न जाने किन किन विवादों को मुद्दा बना देते है पर खुद
के द्वारा किया गया कृत नहीं मानते |
सोच बदले, समाज बदलेगा:
सोच
बदलने की बात से याद आया की हम हर साल विजयादशमी का पर्व मानते है जो की बुराई पर
अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हर साल
रावण को जलाते भी है, महान ज्ञानी होने के वावजूद उसने भी अपनी ताकत की मद मे अपने
वंश का विनाश किया था और अपने गौरव को धुलधुसरित किया था, तो आप सबसे से विनम्र
निवेदन है की अपने समाज और अपने देश के गौरव को धुलधुसरित मत करें |
“ सोच बदले, समाज बदलेगा “
जय हिन्द जय भारत
Saturday, 23 April 2016
15:03:00
श्यामबाबा की आरती (Shri Shyam Baba Ji Ki Aarti)
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले|
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले|
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे|
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे|
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे|
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे|
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
श्रीश्याम बिहारीजी की आरती जो कोई नर गावे|
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
श्रीश्याम बिहारीजी की आरती जो कोई नर गावे|
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत , अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत , अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...
15:02:00
श्री राणी सतीजी की आरती (Shree Rani Satiji ki Aarti)
ॐ जय श्री राणी सती माता , मैया जय राणी सती माता ,
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ती ||
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा
दुर्जन दलन खडग की विद्युतसम प्रतिभा ||
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ती ||
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा
दुर्जन दलन खडग की विद्युतसम प्रतिभा ||
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल , शोभा लखि न पडे,
ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश धरे ||
घंटा घनन घडावल बाजे , शंख मृदुग घूरे,
किन्नर गायन करते वेद ध्वनि उचरे ||
ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश धरे ||
घंटा घनन घडावल बाजे , शंख मृदुग घूरे,
किन्नर गायन करते वेद ध्वनि उचरे ||
सप्त मात्रिका करे आरती , सुरगण ध्यान धरे,
विविध प्रकार के व्यजंन , श्रीफल भेट धरे ||
संकट विकट विदारनि , नाशनि हो कुमति,
सेवक जन ह्रदय पटले , मृदूल करन सुमति,
अमल कमल दल लोचनी , मोचनी त्रय तापा ||
विविध प्रकार के व्यजंन , श्रीफल भेट धरे ||
संकट विकट विदारनि , नाशनि हो कुमति,
सेवक जन ह्रदय पटले , मृदूल करन सुमति,
अमल कमल दल लोचनी , मोचनी त्रय तापा ||
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी ,शरण गहुँ माता ||
या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता,
सदन सिद्ध नव निध फल , मनवांछित पावे ||
या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता,
सदन सिद्ध नव निध फल , मनवांछित पावे ||
15:00:00
लक्ष्मीजी की आरती (Laxmi Mata Aarti in Hindi)
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता|
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता|
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाा,पाप उतर जाता ॥
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाा,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
14:58:00
श्री सरस्वती प्रार्थना (Shri Saraswati Prathana in Hindi)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
(जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के
फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह
धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं,
जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है,
जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया
है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं
द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता
और अज्ञान को दूर कर देने वाली
माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥)
फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह
धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं,
जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है,
जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया
है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं
द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता
और अज्ञान को दूर कर देने वाली
माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥)
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां
जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां
जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
(शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्में व्याप्त,
आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं
चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली,
सभी भयों से भयदान देने वाली,
अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा,
पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली
और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली,
सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा
(सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥
आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं
चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली,
सभी भयों से भयदान देने वाली,
अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा,
पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली
और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली,
सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा
(सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥
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