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Saturday, 16 April 2016
हमने-उनको-अपना-जहां-बनाया-था-उनकी-आँखों-में-अपना-घर-बनाया-था
06:00:00
हमने उनको अपना जहां बनाया था ,उनकी आँखों में अपना घर बनाया था
ये कविता एक प्रेमी युगल की है,
जिसमें किसी कारणवश उनका प्रेम,
अपने मंज़िल तक न पहुंच कर,
उनके रास्ते अलग हो जाते है ...
अपने प्रेमिका से दूर होने के बाद
प्रेमी क्या कहता ....
हमने उनको अपना जहां बनाया था ,
उनकी आँखों में अपना घर बनाया था
थम जाती थी हमारी सांसे उनके आने से
हमारी धड़कनों पे भी उन्होंने
अपना पहेरा लगाया था....
भुली नहीं जाती है महोब्बत भरी उनकी बातें
जमी से फ़लक का रास्ता उन्हों ने दिखलाया था
बदल गया है दौर हमारी दस्ता का
शायद यही फैसला रब ने हमारे लिए बनाया था
आ गयी वो रात कयामत की मेरी जान को
दुनिया ने मुझसे उसे किस कदर रुस्वा कराया था
आज सुर्ख लाल जोड़े में सखियो ने
मेरी जान को सजाया होगा ,
हाथो मेहंदी,बालों में गजरा
माथे पे बिंदिया भी सजाया होगा,
छुपा लिया होगा नाम मेरा हाथो में अपने
जैसे कभी बादलों ने चाँद को
अपने आगोस में छुपाया होगा
मेरी चाहत से उनकी आँखों में
आंसू बनकर मेरी तस्वीर को मिटाया होगा
उसने भी सबको समझ कर मेरे दर्द को
अपने ही अंदर दबाया होगा
सिमटे बदन और कांपते हाथों से
अपने जीवन की पतवार को
किसी और को थमाया होगा
अपनी प्यार की अर्थी को
अपना ही कन्धा लगाया होगा
हर आह में उनके सिर्फ मेरा ही
नाम उनकी लबो पे आया होगा
उसने अपने हर फ़र्ज़ को
बखुबी निभाया होगा
आज सुर्ख लाल जोड़े में सखियों ने
मेरी जान को सजाया होगा।
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