Saturday, 23 April 2016
14:24:00
श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र (Shree Vaibhav Laxmi Mantra)
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
कैसे करें वैभव लक्ष्मी मंत्र का प्रयोग (How to Use Vaibhav Laxmi Mantra)
वैभव लक्ष्मी मंत्र का जाप विशेष रूप से शुक्रवार और दिपावली के दिन करना चाहिए। इस दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर घर के सभी कार्य कर के स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद उपवास रखते हुए श्री लक्ष्मी यंत्र या मां लक्ष्मी की तस्वीर को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान पर स्थापित करना चाहिए।
लक्ष्मी जी की धूप, फूल, दीप, गंध, अक्षत, रोली आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद यथाशक्तिनुसार "श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र" का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिन भी बिना नियम के किया जा सकता है।
श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र के लाभ (Power of Vaibhav Laxmi Mantra)
मान्यता है कि श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से जातक के घर में कभी किसी वस्तु का अभाव नहीं रहता है। लक्ष्मी जी की कृपा से उसका जीवन सुख- शांति, धन- वैभव से हमेशा भरा रहता है।
14:23:00
काली माता का मंत्र
जीवन के सभी संकटो को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलता कण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
Jivan me aaye sabhi sankato ko dur karne ke liye is Mantra ka jaap krna chahiye-
Om eym Hrinm Clin Chamundaya Vichcay
Ekaveni japakarnapura nagna kharasthita, lambosti karnikakarni tailabhyaktasaririni.
Vamapadollasallohalata kantakabhusana, vardhanamurdhadhvaja krisna kalaratrirbhayankari.
***********************************************
काली माता को प्रसन्न कर उनसे मन चाहा वर प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।
ॐ क्रीं काल्यै नमः
Kali mata ko prasanna kara unase maan chaha vardan prapt karane ke liye in mantro ka jap karana Chahiye.
Kali mahakali kalike paramesvari
Sarvanandakari devi narayani namostute.
Krim kalyai namah
***********************************************
मृत्यु के भय से बचने के लिए काली मां के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके ! क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
Mirtyu ke bhaya se bacane ke liye kali maam ke is mantra ka jaap karana chahiye-
Kring Kring Kring Hing Kring Dakshine Kalike Kring Kring Kring Hring Hring Hung Hung Swaha.
Om Hrim Shreem Klim Adya Kalika Param Eshwari Swaha
a
जीवन के सभी संकटो को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलता कण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
Jivan me aaye sabhi sankato ko dur karne ke liye is Mantra ka jaap krna chahiye-
Om eym Hrinm Clin Chamundaya Vichcay
Ekaveni japakarnapura nagna kharasthita, lambosti karnikakarni tailabhyaktasaririni.
Vamapadollasallohalata kantakabhusana, vardhanamurdhadhvaja krisna kalaratrirbhayankari.
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काली माता को प्रसन्न कर उनसे मन चाहा वर प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।
ॐ क्रीं काल्यै नमः
Kali mata ko prasanna kara unase maan chaha vardan prapt karane ke liye in mantro ka jap karana Chahiye.
Kali mahakali kalike paramesvari
Sarvanandakari devi narayani namostute.
Krim kalyai namah
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मृत्यु के भय से बचने के लिए काली मां के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके ! क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
Mirtyu ke bhaya se bacane ke liye kali maam ke is mantra ka jaap karana chahiye-
Kring Kring Kring Hing Kring Dakshine Kalike Kring Kring Kring Hring Hring Hung Hung Swaha.
Om Hrim Shreem Klim Adya Kalika Param Eshwari Swaha
a
14:21:00
सूर्य देव के मंत्र (Surya Mantra)
पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:
ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
Om bhaskaraya putram dehi mahatejase.
Dhimahi tannah surya prachodayat.
***************************************************************
हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
Om hiram hrim sah suryaya namah..
***************************************************************
व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
Om ghrinh surya adivyoma.
***************************************************************
अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
Shatru nasaya om hrim hrim suryaya namah
***************************************************************
अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं सः
Om hiram hrim sah
***************************************************************
सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
Om Hrim Shrim aam grahadhirajaya adityaya namah
************************************************************************
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-
दिव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम् |
वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||
Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko chandan samarpan karna chahiye-
Shrikhand Chandanam Divyam Gandhadhy Sumanoharam |
Vabilepanam Rashmi Data Chandanam Prati Grih Yantaam ||
************************************************************************
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-
शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko vastraadi arpan karna chahiye-
Sheet Vaatoshna Santraanam Lajjaayaa Rakshanam Param |
Dehaa Lankaaranam Vastra Matah Shanty Prayachchha Men ||
*****************************************************************************
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
नवभि स्तन्तु मिर्यक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ka uchcharan karte huye unhe yagyopaveet samarpan karna chahiye-
Navabhi Stantu Miryaktam Trigunam Devtaa Mayam |
Upveetam Maya Dattam Grihaanaam Parmeshwarah ||
**************************************************************
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
नवनीत समुत पन्नं सर्व संतोष कारकम् |
घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko ghrit snaan karana chahiye-
Navneet Samut Pannam Sarv Santosh Kaarkam |
Ghrit Tubhyam Prada Syaami Snaanaarth Prati Grih Yantaam ||
************************************************************************
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe arghya samarpan karna chahiye-
Om Surya Devam Namaste Stu Grihaanam Karoona Karam |
Arghyam Ch Falam Sanyukta Gandh Maalyaakshatai Yutam ||
**********************************************************************
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् |
प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||
Is mantra ka uchcharan karte huye prachand jyoti ke malik Bhagvan Divakar ko Gangajal samrpan karna chahiye-
Om Sarv Tirtham Samood Bhootam Paadya Gandhadi Bhiryutam |
Prachand Jyoti Grihaanedam Divaakar Bhakt Vatsalaam ||
**********************************************************************
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
विचित्र रत्न खन्चित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् |
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko aasan samarpan karna chahiye-
Vichitra Ratna Khanchit Divya Staran Sanyuktam |
Svarn Sinhaasan Chaaru Griheeshva Ravi Poojita ||
*******************************************************************
सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष |
स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||
Surya Pooja ke dauran Bhagvan Suryadev ka aavahan is mantra ke dwara karna chahiye-
Om Sahastra Sheershah Purushah Sahastrakshah Sahastra Paaksh |
Sa Bhumi Gvam Sabyet Staputva Ayatishth Darshaam Gulam ||
******************************************************************************
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को दुग्ध से स्नान कराना चाहिए-
काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीवन परम् |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||
Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko dugh snaan karana chahiye-
Kaam Dhunu Samod Bhootam Sarveshaam Jeevan Param |
Paavanam Yagya Hetushcha Payah Snaanaarth Samarpitam ||
**********************************************************************
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें दीप दर्शन कराना चाहिए-
साज्यं च वर्ति सं बह्निणां योजितं मया |
दीप गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरा पहम् ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe deep darshan karana chahiye-
Saajyam Ch Varti Sam Bahninaam Yojitam Maya |
Deep Grihaan Devesh Trailokya Timira Paham ||
पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:
ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
Om bhaskaraya putram dehi mahatejase.
Dhimahi tannah surya prachodayat.
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हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
Om hiram hrim sah suryaya namah..
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व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
Om ghrinh surya adivyoma.
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अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
Shatru nasaya om hrim hrim suryaya namah
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अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं सः
Om hiram hrim sah
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सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
Om Hrim Shrim aam grahadhirajaya adityaya namah
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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-
दिव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम् |
वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||
Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko chandan samarpan karna chahiye-
Shrikhand Chandanam Divyam Gandhadhy Sumanoharam |
Vabilepanam Rashmi Data Chandanam Prati Grih Yantaam ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-
शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko vastraadi arpan karna chahiye-
Sheet Vaatoshna Santraanam Lajjaayaa Rakshanam Param |
Dehaa Lankaaranam Vastra Matah Shanty Prayachchha Men ||
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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
नवभि स्तन्तु मिर्यक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ka uchcharan karte huye unhe yagyopaveet samarpan karna chahiye-
Navabhi Stantu Miryaktam Trigunam Devtaa Mayam |
Upveetam Maya Dattam Grihaanaam Parmeshwarah ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
नवनीत समुत पन्नं सर्व संतोष कारकम् |
घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko ghrit snaan karana chahiye-
Navneet Samut Pannam Sarv Santosh Kaarkam |
Ghrit Tubhyam Prada Syaami Snaanaarth Prati Grih Yantaam ||
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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe arghya samarpan karna chahiye-
Om Surya Devam Namaste Stu Grihaanam Karoona Karam |
Arghyam Ch Falam Sanyukta Gandh Maalyaakshatai Yutam ||
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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् |
प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||
Is mantra ka uchcharan karte huye prachand jyoti ke malik Bhagvan Divakar ko Gangajal samrpan karna chahiye-
Om Sarv Tirtham Samood Bhootam Paadya Gandhadi Bhiryutam |
Prachand Jyoti Grihaanedam Divaakar Bhakt Vatsalaam ||
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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
विचित्र रत्न खन्चित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् |
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||
Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko aasan samarpan karna chahiye-
Vichitra Ratna Khanchit Divya Staran Sanyuktam |
Svarn Sinhaasan Chaaru Griheeshva Ravi Poojita ||
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सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष |
स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||
Surya Pooja ke dauran Bhagvan Suryadev ka aavahan is mantra ke dwara karna chahiye-
Om Sahastra Sheershah Purushah Sahastrakshah Sahastra Paaksh |
Sa Bhumi Gvam Sabyet Staputva Ayatishth Darshaam Gulam ||
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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को दुग्ध से स्नान कराना चाहिए-
काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीवन परम् |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||
Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko dugh snaan karana chahiye-
Kaam Dhunu Samod Bhootam Sarveshaam Jeevan Param |
Paavanam Yagya Hetushcha Payah Snaanaarth Samarpitam ||
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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें दीप दर्शन कराना चाहिए-
साज्यं च वर्ति सं बह्निणां योजितं मया |
दीप गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरा पहम् ||
Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe deep darshan karana chahiye-
Saajyam Ch Varti Sam Bahninaam Yojitam Maya |
Deep Grihaan Devesh Trailokya Timira Paham ||
14:16:00
सिद्ध शाबर मंत्र (Sidh Shabar Mantra)
ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः
शाबर मंत्रों के जनक (Originator of Shabar Mantra)
शाबर मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शिव के परम भक्त थे। शाबर मंत्रों की उत्पत्ति का श्रेय गुरु गोरखनाथ और गुरु मछन्दर नाथ को जाता हैं। अपने जप, तप और श्रद्धा के कारण गुरु गोरखनाथ और मछन्दर बहुत पूजनीय माने जाते हैं।
शाबर मंत्र का प्रयोग और प्रभाव (Use and Effects of Shabar Mantra)
सिद्ध शाबर मंत्र बहुत शक्तिशाली होते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए मंत्रों को यह आसानी से काट सकते हैं। इन मंत्रों के प्रयोग द्वारा किसी भी समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इन मंत्रों में विनियोग, व्रत, तर्पण, हवन, पूजा आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
शाबर मंत्र के महत्त्वपूर्ण तथ्य (Important Fact of Shabar Mantra)
* किसी भी आयु, जाति और वर्ण के पुरुष या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
* इन मंत्रों की साधना के लिए गुरु की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण नहीं होती है।
* षट्कर्म की साधना को करने के लिए गुरु की राय अवश्य लेनी चाहिए।
* मंत्र के जाप के लिए लाल या सफेद आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए।
* शाबर मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए।
ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः
शाबर मंत्रों के जनक (Originator of Shabar Mantra)
शाबर मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शिव के परम भक्त थे। शाबर मंत्रों की उत्पत्ति का श्रेय गुरु गोरखनाथ और गुरु मछन्दर नाथ को जाता हैं। अपने जप, तप और श्रद्धा के कारण गुरु गोरखनाथ और मछन्दर बहुत पूजनीय माने जाते हैं।
शाबर मंत्र का प्रयोग और प्रभाव (Use and Effects of Shabar Mantra)
सिद्ध शाबर मंत्र बहुत शक्तिशाली होते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए मंत्रों को यह आसानी से काट सकते हैं। इन मंत्रों के प्रयोग द्वारा किसी भी समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इन मंत्रों में विनियोग, व्रत, तर्पण, हवन, पूजा आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
शाबर मंत्र के महत्त्वपूर्ण तथ्य (Important Fact of Shabar Mantra)
* किसी भी आयु, जाति और वर्ण के पुरुष या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
* इन मंत्रों की साधना के लिए गुरु की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण नहीं होती है।
* षट्कर्म की साधना को करने के लिए गुरु की राय अवश्य लेनी चाहिए।
* मंत्र के जाप के लिए लाल या सफेद आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए।
* शाबर मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए।
14:13:00
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Benefits of Mahamrityunjay Mantra)
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Benefits of Mahamrityunjay Mantra)
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
14:12:00
चामुण्डा देवी मंत्र (Chamunda Devi Mantra in Hindi)
* ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
Om Hem Hrem Klim Chamunday Vichhe
********************************************************
* ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।
Om G Hum Klim Joom sah jwalaye jawal jawal prajaval ahem hrem klim chamundai vichhe jval hm sm lm shrm fat swaha
********************************************************
* ॐ चामुण्डायै धनं देही।
Om Chamundaye Dhanm Dehee
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* ॐ चामुण्डे जय जय वश्यकरि सर्व सत्वान्नम: स्वाहा।
Om Chamunde Jay Jay Vasaykari Sarv Satvanamah svaha
* ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
Om Hem Hrem Klim Chamunday Vichhe
********************************************************
* ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।
Om G Hum Klim Joom sah jwalaye jawal jawal prajaval ahem hrem klim chamundai vichhe jval hm sm lm shrm fat swaha
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* ॐ चामुण्डायै धनं देही।
Om Chamundaye Dhanm Dehee
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* ॐ चामुण्डे जय जय वश्यकरि सर्व सत्वान्नम: स्वाहा।
Om Chamunde Jay Jay Vasaykari Sarv Satvanamah svaha
14:12:00
साईं महामंत्र (Sai Maha Mantra in Hindi)
ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
OM Shirdi Vasaya Vidamahe Sachidananda Dhimahi tanno Sai Prachodayath
साईं बाबा शांति मंत्र (Sai Baba Shani Mantra in Hindi)
लोखा समस्ता सुखिनो भवन्तु ऊं शांति: शांति: शांति: ॥
Loka Samasta Sukino BhavantuAum ShantiH ShantiH ShantiH
ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
OM Shirdi Vasaya Vidamahe Sachidananda Dhimahi tanno Sai Prachodayath
साईं बाबा शांति मंत्र (Sai Baba Shani Mantra in Hindi)
लोखा समस्ता सुखिनो भवन्तु ऊं शांति: शांति: शांति: ॥
Loka Samasta Sukino BhavantuAum ShantiH ShantiH ShantiH
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