Saturday, 23 April 2016

श्यामबाबा की आरती (Shri Shyam Baba Ji Ki Aarti)
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
रत्न जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुले|
तन केशरिया बागों, कुण्डल श्रवण पडे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे|
खेवत धूप अग्नि पर, दिपक ज्योती जले॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
मोदक खीर चुरमा, सुवरण थाल भरें |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
झांझ कटोरा और घसियावल, शंख मृंदग धरे|
भक्त आरती गावे, जय जयकार करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम श्याम उचरें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
श्रीश्याम बिहारीजी की आरती जो कोई नर गावे|
कहत मनोहर स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुम ने पूर्ण काज करें ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे....
ॐ जय श्री श्याम हरे , बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत , अनुपम रुप धरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...

श्री राणी ​​सतीजी की आरती (Shree Rani Satiji ki Aarti)
ॐ जय श्री राणी सती माता , मैया जय राणी सती माता ,
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ती ||
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा
दुर्जन दलन खडग की विद्युतसम प्रतिभा ||
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल , शोभा लखि न पडे,
ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश धरे ||
घंटा घनन घडावल बाजे , शंख मृदुग घूरे,
किन्नर गायन करते वेद ध्वनि उचरे ||
सप्त मात्रिका करे आरती , सुरगण ध्यान धरे,
विविध प्रकार के व्यजंन , श्रीफल भेट धरे ||
संकट विकट विदारनि , नाशनि हो कुमति,
सेवक जन ह्रदय पटले , मृदूल करन सुमति,
अमल कमल दल लोचनी , मोचनी त्रय तापा ||
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी ,शरण गहुँ माता ||
या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता,
सदन सिद्ध नव निध फल , मनवांछित पावे ||

लक्ष्मीजी की आरती (Laxmi Mata Aarti in Hindi)
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता|
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाा,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...

श्री सरस्वती प्रार्थना (Shri Saraswati Prathana in Hindi)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया
वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
(जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के
फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह
धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं,
जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है,
जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया
है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं
द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता
और अज्ञान को दूर कर देने वाली
माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥)
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां
जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां
जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं
पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं
भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
(शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्में व्याप्त,
आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं
चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली,
सभी भयों से भयदान देने वाली,
अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा,
पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली
और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली,
सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा
(सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥

दुर्गा जी की आरती (Durga Aarti in Hindi)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी ॥

देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||

रामचन्द्रजी की आरती (Shri Ram Chandra Ji Ki Aarti in Hindi)
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं || 

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनीलनीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडीत रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
भजु दीनबंधु दिनेश दानवदै त्यवंशनिकंदनं | 
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथनंदनं ||

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम...
सिर मुकुट कूंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं
इति वदित तुलसीदास शंकरशेषमुनिमनरंजनं | 
मम ह्रदयकंजनिवास कुरु, कमदि खल दल गंजनं | |

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं ||
श्री राम श्री राम...

भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती (Lord Vishnu Aarti in Hindi)
जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट, छन में दूर करे॥ जय जगदीश हरे

जो ध्यावै फल पावै, दु:ख बिनसै मनका।
सुख सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तनका॥ जय जगदीश हरे

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ जय जगदीश हरे

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं मुरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमती॥ जय जगदीश हरे

दीनबन्धु, दु:खहर्ता तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पडा तेरे॥ जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढाओ, संतन की सेवा॥ जय जगदीश हरे

जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे।
मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ जय जगदीश हरे

आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि॥ जय जगदीश हरे

अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ जय जगदीश हरे

विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा।
विश्व चराचर तुम ही, तुम ही विश्वभूपा॥ जय जगदीश हरे

माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद्-भर्ता।
विश्वोत्पादक पालक रक्षक संहर्ता॥ जय जगदीश हरे

साक्षी, शरण, सखा, प्रिय प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो॥ जय जगदीश हरे

राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत-सागर।
मन-मोहन मुरलीधर नित-नव नटनागर॥ जय जगदीश हरे

सब विधि-हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन।
प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुषित तन मन॥ जय जगदीश हरे

आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै।
पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै॥ जय जगदीश हरे

सूर्य देव की आरती (Surya Dev Aarti In Hindi)
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान।। ऊँ जय सूर्य ……
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान ।। ऊँ जय सूर्य ……
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधुली बेला में हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान ।। ऊँ जय सूर्य ……
देव दनुज नर नारी ऋषी मुनी वर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान ।। ऊँ जय सूर्य ……
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान ।। ऊँ जय सूर्य ……
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद पुराण बखाने धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान ।। ऊँ जय सूर्य ……
पूजन करती दिशाएं पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशमान ।। ऊँ जय सूर्य ……
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान।।

शिवजी की आरती (Shri Shiv Ji Ki Aarti in Hindi)
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं |
सदा वसन्तं ह्रदयाविन्दे भंव भवानी सहितं नमामि ॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा |
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे |
हंसासंन ,गरुड़ासन ,वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें |
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
अक्षमाला ,बनमाला ,रुण्ड़मालाधारी |
चंदन , मृदमग सोहें, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें
सनकादिक, ब्रम्हादिक ,भूतादिक संगें
ॐ जय शिव ओंकारा......
कर के मध्य कमड़ंल चक्र ,त्रिशूल धरता |
जगकर्ता, जगभर्ता, जगसंहारकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी |
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा......
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें |
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥

आरती बृहस्पति देवता की
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।
छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

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काली माता की आरती
Kali Mata

भगवान के बारे में जानें
आरती
काली माता की आरती (Kali Mata)            
हिंदू मान्यतानुसार काली जी का जन्म राक्षसों के विनाश के लिए हुआ था। आदि शक्ति भगवती का रूप माने जाने वाली काली माता को बल और शक्ति की देवी माना जाता है। इनकी आराधना से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते हैं। मां काली जी की आरती से उनकी वंदना की जाती है।

आरती को सेव कर पढ़े जब मन करे (Download Kali Mata Aarti in PDF, JPG and HTML): आप इस आरती को पीडीएफ में डाउनलोड, जेपीजी रूप में या प्रिंट भी कर सकते हैं। इस आरती को सेव करने के लिए ऊपर दिए गए बटन पर क्लिक करें। काली जी की आरती निम्न है:

कालीमाता की आरती (Kali Mata Ji Aarti in Hindi)

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट धरेसुन।।1।।

जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।2।।

बुद्धि विधाता तू जग माता ,मेरा कारज सिद्व रे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे।।3।।

जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे।
गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरूणी रूप अनूप धरेमाता।।4।।

होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करेशुक्र सुखदाई सदा।
सहाई संत खडे जयकार करे ।।5।।

ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडेअटल सिहांसन।
बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरेवार शनिचर।।6।।

कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे।।7।।

शुम्भ निशुम्भ को क्षण मे मारे ,महिषासुर को पकड दले ।
आदित वारी आदि भवानी ,जन अपने को कष्ट हरे ।।8।।

कुपित होकर दनव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे।
जब तुम देखी दया रूप हो, पल मे सकंट दूर करे।।9।।

सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता ,जन की अर्ज कबूल करे ।
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे।।10

सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन मे राज्य करे।
दर्शन पावे मंगल गावे ,सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।।11।।

ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे।।12।।

जय जननी जय मातु भवानी , अटल भवन मे राज्य करे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे।।13।।


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की...
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की...
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की...
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद,
कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

शनि देवजी की आरती (Shri Shani Dev Ji Ki Aarti in Hindi)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय.॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय.॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय.॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय.॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥जय.॥

श्री साईं बाबा की आरती (Shirdi Sai Baba ki Aarti)
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अव-तरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥
संतोषी माता की आरती (Shri Santoshi Mata Ji Ki Aarti)
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥
जय सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ॥
जय गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥
जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही ।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ॥
जय मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ॥
जय भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै ॥
जय दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए ।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥
जय ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ॥
जय शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे ॥
जय संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे ।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥

श्री राधा जी की आरती (Radhaji Aarti in Hindi )

जय श्री राधा जय श्री कृष्ण

जय श्री राधा जय श्री कृष्ण
श्री राधा कृष्णाय नमः ..


घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा
पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण .
जुगल प्रेम रस झम झम झमकै
श्री राधा कृष्णाय नमः ..


राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा
भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण .
मंगल मूरति मोक्ष करैया
श्री राधा कृष्णाय नमः ..
हनुमानजी की आरती (Shri Hanuman Ji Ki Aarti)

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं ,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ||
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं , श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||

आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥

अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये | लंका जाये सिया सुधी लाये ॥

लंका सी कोट संमदर सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे | सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे | आनि संजिवन प्राण उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे ॥

बायें भुजा असुर दल मारे | दाहीने भुजा सब संत जन उबारे ॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे | जै जै जै हनुमान उचारे ॥

कचंन थाल कपूर लौ छाई | आरती करत अंजनी माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गाये | बसहिं बैकुंठ परम पद पायै ॥

लंका विध्वंश किये रघुराई | तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई ॥
आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र (Shree Vaibhav Laxmi Mantra)
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
कैसे करें वैभव लक्ष्मी मंत्र का प्रयोग (How to Use Vaibhav Laxmi Mantra)
वैभव लक्ष्मी मंत्र का जाप विशेष रूप से शुक्रवार और दिपावली के दिन करना चाहिए। इस दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर घर के सभी कार्य कर के स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद उपवास रखते हुए श्री लक्ष्मी यंत्र या मां लक्ष्मी की तस्वीर को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान पर स्थापित करना चाहिए।
लक्ष्मी जी की धूप, फूल, दीप, गंध, अक्षत, रोली आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद यथाशक्तिनुसार "श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र" का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिन भी बिना नियम के किया जा सकता है।
श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र के लाभ (Power of Vaibhav Laxmi Mantra)
मान्यता है कि श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से जातक के घर में कभी किसी वस्तु का अभाव नहीं रहता है। लक्ष्मी जी की कृपा से उसका जीवन सुख- शांति, धन- वैभव से हमेशा भरा रहता है।

काली माता का मंत्र

जीवन के सभी संकटो को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलता कण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

Jivan me aaye sabhi sankato ko dur karne ke liye is Mantra ka jaap krna chahiye-

Om eym Hrinm Clin Chamundaya Vichcay

Ekaveni japakarnapura nagna kharasthita, lambosti karnikakarni tailabhyaktasaririni.
Vamapadollasallohalata kantakabhusana, vardhanamurdhadhvaja krisna kalaratrirbhayankari.

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काली माता को प्रसन्न कर उनसे मन चाहा वर प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-

काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।

ॐ क्रीं काल्यै नमः

Kali mata ko prasanna kara unase maan chaha vardan prapt karane ke liye in mantro ka jap karana Chahiye.

Kali mahakali kalike paramesvari
Sarvanandakari devi narayani namostute.

Krim kalyai namah

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मृत्यु के भय से बचने के लिए काली मां के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके ! क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा

Mirtyu ke bhaya se bacane ke liye kali maam ke is mantra ka jaap karana chahiye-

Kring Kring Kring Hing Kring Dakshine Kalike Kring Kring Kring Hring Hring Hung Hung Swaha.

Om Hrim Shreem Klim Adya Kalika Param Eshwari Swaha
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सूर्य देव के मंत्र (Surya Mantra)

पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:

ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।

Om bhaskaraya putram dehi mahatejase.
Dhimahi tannah surya prachodayat.

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हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
Om hiram hrim sah suryaya namah..

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 व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
Om ghrinh surya adivyoma.

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अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
Shatru nasaya om hrim hrim suryaya namah

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अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ऊँ हृां हृीं सः
Om hiram hrim sah

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सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

 ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
Om Hrim Shrim aam grahadhirajaya adityaya namah

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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-

दिव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम् |
वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||

Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko chandan samarpan karna chahiye-

Shrikhand Chandanam Divyam Gandhadhy Sumanoharam |
Vabilepanam Rashmi Data Chandanam Prati Grih Yantaam ||

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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-

शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||

Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko vastraadi arpan karna chahiye-

Sheet Vaatoshna Santraanam Lajjaayaa Rakshanam Param |
Dehaa Lankaaranam Vastra Matah Shanty Prayachchha Men ||

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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-

नवभि स्तन्तु मिर्यक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||

Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ka uchcharan karte huye unhe yagyopaveet samarpan karna chahiye-

Navabhi Stantu Miryaktam Trigunam Devtaa Mayam |
Upveetam Maya Dattam Grihaanaam Parmeshwarah ||

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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-

नवनीत समुत पन्नं सर्व संतोष कारकम् |
घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||

Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko ghrit snaan karana chahiye-

Navneet Samut Pannam Sarv Santosh Kaarkam |
Ghrit Tubhyam Prada Syaami Snaanaarth Prati Grih Yantaam ||

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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-

ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||

Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe arghya samarpan karna chahiye-

Om Surya Devam Namaste Stu Grihaanam Karoona Karam |
Arghyam Ch Falam Sanyukta Gandh Maalyaakshatai Yutam ||

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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-

ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् |
प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||

Is mantra ka uchcharan karte huye prachand jyoti ke malik Bhagvan Divakar ko Gangajal samrpan karna chahiye-

Om Sarv Tirtham Samood Bhootam Paadya Gandhadi Bhiryutam |
Prachand Jyoti Grihaanedam Divaakar Bhakt Vatsalaam ||

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इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-

विचित्र रत्न खन्चित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् |
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||

Is mantra ko padhte huye Bhagvan Suryadev ko aasan samarpan karna chahiye-

Vichitra Ratna Khanchit Divya Staran Sanyuktam |
Svarn Sinhaasan Chaaru Griheeshva Ravi Poojita ||

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सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष |
स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||

Surya Pooja ke dauran Bhagvan Suryadev ka aavahan is mantra ke dwara karna chahiye-

Om Sahastra Sheershah Purushah Sahastrakshah Sahastra Paaksh |
Sa Bhumi Gvam Sabyet Staputva Ayatishth Darshaam Gulam ||

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इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को दुग्ध से स्नान कराना चाहिए-

काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीवन परम् |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||

Is mantra ka uchcharan karte huye Bhagvan Suryadev ko dugh snaan karana chahiye-

Kaam Dhunu Samod Bhootam Sarveshaam Jeevan Param |
Paavanam Yagya Hetushcha Payah Snaanaarth Samarpitam ||

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भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें दीप दर्शन कराना चाहिए-

साज्यं च वर्ति सं बह्निणां योजितं मया |
दीप गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरा पहम् ||

Bhagvan Suryadev ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe deep darshan karana chahiye-

Saajyam Ch Varti Sam Bahninaam Yojitam Maya |
Deep Grihaan Devesh Trailokya Timira Paham ||

सिद्ध शाबर मंत्र (Sidh Shabar Mantra)

ॐ शिव गुरु गोरखनाथाय नमः

शाबर मंत्रों के जनक (Originator of Shabar Mantra)

शाबर मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शिव के परम भक्त थे। शाबर मंत्रों की उत्पत्ति का श्रेय गुरु गोरखनाथ और गुरु मछन्दर नाथ को जाता हैं। अपने जप, तप और श्रद्धा के कारण गुरु गोरखनाथ और मछन्दर बहुत पूजनीय माने जाते हैं।

शाबर मंत्र का प्रयोग और प्रभाव (Use and Effects of Shabar Mantra)

सिद्ध शाबर मंत्र बहुत शक्तिशाली होते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए मंत्रों को यह आसानी से काट सकते हैं। इन मंत्रों के प्रयोग द्वारा किसी भी समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इन मंत्रों में विनियोग, व्रत, तर्पण, हवन, पूजा आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

शाबर मंत्र के महत्त्वपूर्ण तथ्य (Important Fact of Shabar Mantra)

* किसी भी आयु, जाति और वर्ण के पुरुष या स्त्रियां इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
* इन मंत्रों की साधना के लिए गुरु की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण नहीं होती है।
* षट्कर्म की साधना को करने के लिए गुरु की राय अवश्य लेनी चाहिए।
* मंत्र के जाप के लिए लाल या सफेद आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए।
* शाबर मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ ही करना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥



महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Meaning of Mahamrityunjay Mantra in Hindi)
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।



महामृत्युंजय मंत्र के फायदे (Benefits of Mahamrityunjay Mantra)
यह मंत्र व्यक्ति को ना ही केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिला सकता है बल्कि उसकी अटल मृत्यु को भी टाल सकता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

चामुण्डा देवी मंत्र (Chamunda Devi Mantra in Hindi)

* ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
Om Hem Hrem Klim Chamunday Vichhe
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* ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।
Om G Hum Klim Joom sah jwalaye jawal jawal prajaval ahem hrem klim chamundai vichhe jval hm sm lm shrm fat swaha
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* ॐ चामुण्डायै धनं देही।
Om Chamundaye Dhanm Dehee
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* ॐ चामुण्डे जय जय वश्यकरि सर्व सत्वान्नम: स्वाहा।
Om Chamunde Jay Jay Vasaykari Sarv Satvanamah svaha

साईं महामंत्र (Sai Maha Mantra in Hindi)
ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
OM Shirdi Vasaya Vidamahe Sachidananda Dhimahi tanno Sai Prachodayath

साईं बाबा शांति मंत्र (Sai Baba Shani Mantra in Hindi)
लोखा समस्ता सुखिनो भवन्तु ऊं शांति: शांति: शांति: ॥
Loka Samasta Sukino BhavantuAum ShantiH ShantiH ShantiH 
सरस्वती मंत्र (Saraswati Mantra in Hindi)
देवी सरस्वती का मूल मंत्र निम्न है: ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
संपूर्ण सरस्वती मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

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परीक्षा भय निवारण हेतु (Saraswati Mantra for Exams in Hindi)
परीक्षा में डर ना लगें इसलिए इन मंत्रों का जाप करना लाभदायक माना जाता है
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
Om Ahem Hreem Shreem Veena Pustak Dharinim Mam Bhay Nivaranya Nivaranya abhyam dehi dehi swaha.


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स्मरण शक्ति बढाने के लिए मंत्र (Saraswati Mantra for Memory Power in Hindi)
याद करने की क्षमता बढ़ाने के लिए इस मंत्र को फलदायक माना जाता है: ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
Om Namah Bhagwati Vad Vad Vagdevi Swaha


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उच्च शिक्षा और बुद्धिमत्ता के लिए सरस्वती देवी के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:

शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।

Sarada Saradabhaumvadana Vadanambuje
Sarvada sarvadasmakamam sannidhimam sannidhimam kriya tu

श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

Srim hrim sarasvatyai svaha.
Hrim aim hrim sarasvatyai namah

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कला और साहित्य के क्षेत्र में सफलता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां|
हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां||

Shuklaam Brahmavichaara Saara paramaam Aadhyaam Jagadvyapinim,
Veena Pustaka Dhaarineem Abhayadaam Jaadya'andhakaara'apahaam
Haste Sphaatika Maalikam Vidadhateem Padmasane Sansthitaam
Vande taam Parmeshwareem Bhagavateem Buddhipradaam Shardam

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सरस्वती मंत्र (Powerful Saraswati Mantra in Hindi)

सभी बाधाओं के निवारण के लिए देवी सरस्वती के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।

Aim hrim Srim antariksa sarasvati parama rakshini
mama sarva vighna badha nivaraya nivaraya svaha



तुलसी स्तोत्रम् (Tulsi Strotram in Hindi)

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥1॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥2॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥3॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥4॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥5॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाजलिं कलौ ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥6॥

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥7॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥8॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥9॥

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥10॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥11॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्नानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥12॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥13॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥14॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥15॥

इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

वैष्णो देवी के मंत्र (Vaishno Devi Mantra in Hindi)

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माता वैष्णो देवी को पाद्य (जल) समर्पण करना चाहिए-

ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धादि-भिर्युतम् |
अनिष्ट-हर्ता गृहाणेदं भगवती भक्त-वत्सला ||
ॐ श्री वैष्णवी नमः |
पाद्योः पाद्यं समर्पयामि

Is mantra ka uchcharan karte huye Mata Vaishno Devi ko padya(Jal) samarpan karna chahiye-

Om Sarvteerth Samoodbhootam Paadyam Gandhaadi-Bhiryutam |
Anisht-Harta Grihaanedam Bhagvati Bhakt-Vatsalaa ||
Om Shri Vaishnavi Namah

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इस मंत्र के द्वारा माता वैष्णो देवी को दक्षिणा अर्पण करना चाहिए-

हिरण्यगर्भ-गर्भस्थं हेम बीजं विभावसोः |
अनन्तं पुण्यफ़ल दमतः शान्ति प्रयच्छ मे ||

Is mantra ke dwara Mata Vaishno Devi ko dakshina arpan karna chahiye-

Garbhstham Hem Beejam Vibhavasoh |
Anantam Punyafala Damatah Shanty Prayachchha Me ||

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माता वैष्णो देवी की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें चन्दन समर्पण करना चाहिए-

ॐ श्रीखण्ड-चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् |
विलेपन मातेश्वरी चन्दनं प्रति-गृहयन्ताम् ||

Mata Vaishno Devi ki pooja ke dauran is mantra ko padhte huye unhe chandan samarpan karna chahiye-

Om Shrikhand-Chandanam Divyam Gandhaadhyam Sumanoharam |
Vilepan Maateshwari Chandanam Prati-Grihayantaam ||

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इस मंत्र के द्वारा माता वैष्णो देवी का दधि स्नान करना चाहिए-

पयस्तु वैष्णो समुद-भूतं मधुराम्लं शशि-प्रभम् |
दध्या-नीतं मया स्नानार्थ प्रति-गृहयन्ताम् ||

Is mantra ke dwara Mata Vaishno Devi ka dadhi snaan karna chahiye-

Bhootam Madhuraamlam Shashi-Prabham |
Dadhyaa-Neetam Mayaa Snaanaarth Prati Grihayantaam ||

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माता वैष्णो देवी की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें वस्त्र समर्पण करना चाहिए-

शीत-शीतोष्ण-संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
देहा-लंकारण वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ मे ||

Mata Vaishno ki pooja karte samay is mantra ko padhte huye unhe vastra samarpan karna chahiye-

Sheet-Sheetoshna-Santraanam Lajjaaya Rakshanam Param |
Dehaa-Lankaaran Vastramatah Shanty Prayachchha Me ||

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इस मंत्र को पढ़ते हुए माता वैष्णो देवी को पुष्पमाला समर्पण करना चाहिए-

माल्या दीनि सुगन्धीनि माल्यादीनि वै देवी |
मया-हृताणि-पुष्पाणि गृहायन्ता पूजनाय भो ||

Is mantra ko padhte huye Mata Vaishno Devi ko pushpmala samarpan karna chahiye-

Maalya Deeni Sugandheeni Maalyaadeeni Vai Devi |
Maya-Hritaani-Pushpaani Grihayantaa Poojanaaya Bho ||

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माता वैष्णो देवी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें बिल्वपत्र एवं पुष्प समर्पण करना चाहिए-

बन्दारूज-नाम्बदार मन्दार प्रिये धीमहि |
मन्दार जानि पुष्पाणि रक्त-पुष्पाणि-पेहि भो ||

Mata Vaishno Devi ki pooja ke dauran is mantra ke dwara unhe Bilvapatra evam Pushp samarpn karna chahiye-

Bandaaruj-Naambdaar Mandaar Priye Dheemahi |
Mandaar Jaani Pushpaani Rakt-Pushpaani-Pehi Bho ||

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माता वैष्णो देवी की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-

ॐ वैष्णो देवी नमस्ते-स्तु गृहाण करूणाकरी |
अर्घ्य च फ़लं संयुक्तं गंधमाल्या-क्षतैयुतम् ||

Mata Vaishno Devi ki pooja ke dauran is mantra ka uchcharan karte huye unhe arghya samarpan karna chahiye-

Om Vaishno Devi Namaste-Stu Grihaan Karunaakaree |
Arghya Ch Falam Sanyuktam Gandhmaalya Kshataiyutam ||

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इस मंत्र को पढ़ते हुए माता वैष्णो देवी की पूजा में उन्हें आसन समर्पण करना चाहिए-

ॐ विचित्र रत्न्-खचितं दिव्या-स्तरण-संयुक्तम् |
स्वर्ण-सिंहासन चारू गृहिष्व वैष्णो माँ पूजितः ||

Is mantra ko padhte huye Mata Vaishno Devi ki pooja me unhe aasan samarpan karna chahiye-

Om Vichitra Ratna-Khanchit Divyaa-Staran-Sanyuktam |
Swarn-Sinhasan Chaaru Grihishva Vaishno Maa Poojitah ||

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माता वैष्णो देवी की पूजा में उनका आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र-पातस-भूमिग्वं सव्वेत-स्तपुत्वा यतिष्ठ दर्शागुलाम् |
आगच्छ वैष्णो देवी स्थाने-चात्र स्थिरो भव ||

Mata Vaishno Devi ki pooja me unka aavahan is mantra ke dwara karna chahiye-

Om Sahastra Sheershah Purushah Sahastrakshah Sahastra-Paatas-Bhoomigvam Savvet-Staputva Yatishth Darshaagulam |
Aagachchha Vaishno Devi Sthane-Chatra Sthiro B

भगवान शिव के मंत्र (Lord Shiva Mantra in Hindi)

मनोवांछित फल पाने के लिए शिवजी के मंत्र (Shiv Mantra for Success)

मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए शिव जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।

Manovanchhita phal prapta karane ke liye shiv ji ke is mantra ka jaap kare.

Nagendraharaya trilacanaya bhasmanga ragaya mahesvaraya
nityaya suddhaya digambaraya tasme na karaya nama: shivaya

Mandakini salila candana carcitaya nandisvara pramathanatha mahesvaraya
mandarapuspa bahupuspa supujitaya tasme ma karaya namah shivaya

Shivaya gauri vadanabjavrnda suryaya daksadhvaranasakaya
shri nilakanthaya vrsabhaddhajaya tasmai si karaya nama sivaya

Avantikayam vihitavataram muktipradanaya ca sajjananam.
Akalamrtyoh Pariraksanarthan vande mahakalamahasuresam

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स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए शिवजी के मंत्र (Shiv Mantra for Good Health)

निरोग रहने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए शिव जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय।
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।

Saurastradese visadetiramye jyotirmayam candrakalavatansam.
Bhaktipradanaya krpavatirnam tan somanatham saranam prapadye
Kaverikanarmadayoh Pavitre samagame sajjanataranaya
Sadaiva mandhatrpure vasantamonkaramisam sivamekamide.

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शिव जी की पूजा के दौरान इन मंत्रो का जाप करना चाहिए-

शिव जी की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें स्नान समर्पण करना चाहिए-
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो |
वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ||

Bhagvan Bholenath ki pooja ke dauran is mantra ke dwara Shivji ko snaan samarpan karna chahiye-

om varunasyottambhanamasi varunasya sakambh sarjjaneestho |
Varunasya ritsadanyasi varunasya ritsadanamasi varunasya ritsadanmaaseed ||

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भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-

ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः |
स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः ||

Bhagvan Shiv ki pooja karte samay is mantra ke dwara unhe yagyopaveet samarpan karna chahiye-

Om Brahm Jgyaanaprathamam Purastaadvisematah Surucho Ven Aavah |
Sa Budhnyaa Upma Asya Vishthah Satashch Yonimastashch Vivah ||

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शिवजी की पूजा में इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ को गंध समर्पण करना चाहिए-

ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः |
शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च ||

Shivji ki pooja me is mantra ke dwara Bhagvan Bholenath ko gandh samarpan karna chahiye-

Om Namah Shvabhyah Shvapatibhyashch Vo Namo Namo Bhavaay Ch Rudraay Ch Namah |
Sharvaay Ch Pashupataye Ch Namo Neelgreevaay Ch Shitikanthaay Ch ||

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शिव की पूजा में इस मंत्र के द्वारा अर्धनारीश्वर भगवान भोलेनाथ को धूप समर्पण करना चाहिए-

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च |
नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च ||

Shiv ki pooja me is mantra ke dwara Ardhnarishwar Bhagvan Bholenath ko dhoop samarpan karna chahiye-

Om Namah Kapardine Ch Vyupt Keshaay Ch Namah Sahastrakshaay Ch Shatdhanvane Ch |
Namo Girishayaay Ch Shipivishtaay Ch Namo Medhushtamaay Cheshumate Ch ||

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भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा त्रिलोचनाय भगवान शिव को पुष्प समर्पण करना चाहिए-

ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च |
नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च ||

Bhagvan Bholenath ki pooja ke dauran is mantra ke dwara trilochnaay Bhagvan Shiv ko pushp samarpan karna chahiye-

Om Namah Paaryaay Chaavaaryaay Ch Namah Prataranaay Chottaranaay Ch |
Namasteerthyaay Ch Koolyaay Ch Namah Shashpyaay Ch Fenyaay Ch ||

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इस मंत्र के द्वारा चन्द्रशेखर भगवान भोलेनाथ को नैवेद्य अर्पण करना चाहिए-

ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च |
नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुधन्याय च ||

Is mantra ke dwara Chandrashekhar Bhagvan Bholenath ko naivedya arpan karna chahiye-

Om Namo Jyeshthaay Ch Kanishthay Ch Namah Poorvajaay Chaaparjaay Ch |
Namo Madhyamaay Chaapgalbhaay Ch Namo Jaghnyaay Ch Budhnyaay Ch ||

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शिव पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान शिव को ताम्बूल पूगीफल समर्पण करना चाहिए-

ॐ इमा रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतीः |
यशा शमशद् द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्तिमन्ननातुराम् ||

Shiv Pooja ke dauran is mantra ke dwara Bhagvan Shiv ko Taambul Pugifal samarpan karna chahiye-

Om Imaa Rudraay Tavase Kapardine Kshaydveeraay Prabhramahe Mateeh |
Yasha Shamshad Dvipade Chatushpade Vishwam Pushtam Grame Astimannanaaturam ||

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भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र से भोलेनाथ को सुगन्धित तेल समर्पण करना चाहिए-

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च |
नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च ||

Bhagvan Shiv ki pooja karte samay is mantra se Bholenath ko sugandhit tel samarpan karna chahiye-

Om Namah Kapardine Ch Vyupt Keshaay Ch Namah Sahastraakshaay Ch Shatdhanvane Ch |
Namo Girishayaay Ch Shipivishtaay Ch Namo Medhushtmaay Cheshumate Ch ||

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इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ को दीप दर्शन कराना चाहिए-

ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च |
नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च ||

Is mantra ke dwara Bhagvan Bholenath ko deep darshan karana chahiye-

Om namah aaradhe chaatriraay ch namah sheeghrayaay ch sheebhyaay ch |
namah urmyaay chaavasvanyaay ch namo naadeyaay ch dveepyaay ch ||

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इस मंत्र से भगवान शिवजी को बिल्वपत्र समर्पण करना चाहिए-

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम् |
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ||

Is mantra se Bhagvan Shivji ko Bilvapatra samarpan karna chaiye-

Darshanam Bilvapatrasya Sparshanam Paapnaashanam |
Aghorpaapsanharam Bilvapatram Shivarpanam ||

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भगवान कार्तिकेय के मंत्र
Lord Kartikeya

भगवान के बारे में जानें
मंत्र
भगवान कार्तिकेय के मंत्र (Lord Kartikeya)            
हिन्दू धर्मानुसार भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन या अयप्पा नाम से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। मान्यतानुसार कोर्ट, जमीन, पैसे आदि के विवाद को निपटाने से पहले भगवान कार्तिकेय की आराधना की जाए तो उसमें सफलता प्राप्त होती है। तो आइए करें भगवान कार्तिकेय के इन मंत्रों द्वारा विजय की प्रार्थना:

भगवान कार्तिकेय के मंत्र

अपने शत्रुओं के नाश के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

Om Sharavana-bhavaya Namaha
Gyaanashaktidhara skanda valliikalyaana sundara
Devasenaa manah kaanta kaartikeya namo-as-tute
Om subrahmanyaaya namah.

ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः

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Lord Ayappaa Mantra for Success in Hindi:
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए भगवान कार्तिकेय की इन मंत्रो द्वारा आराधना करना चाहिए:

Aaramukha Om Muruga
Vel Vel Muruga Muruga
Vaa Vaa Muruga Muruga
Vadi Vel Azhaga Muruga
Adiyaar Elaiya Muruga
Azhaga Muruga Varuvaai
Vadi Veludaney Varuvaai

आरमुखा ओम मुरूगा
वेल वेल मुरूगा मुरूगा
वा वा मुरूगा मुरूगा
वादी वेल अज़्गा मुरूगा
अदियार एलाया मुरूगा
अज़्गा मुरूगा वरूवाई
वादी वेलुधने वरूवाई

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कार्तिकेत गायत्री मंत्र (Kartikeya Gayatri Mantra in Hindi)

हर प्रकार के दुखों और कष्टों का नाश करने के लिए भगवान कार्तिकेय का गायत्री मंत्र निम्न है:

Om Thatpurushaya Vidhmahe
Maha Senaya Dhimahi
Thanno Skanda Prachodhayath’

ओम तत्पुरुषाय विधमहे:
महा सैन्या धीमहि
तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:
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दक्षिण भारतीय मंत्र (South Indian Mantra of Lord Kartikeya)

दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप किया जाता है:
Harey Muruga Harey Muruga Shiva Kumara Haro Hara
Harey Kandha Harey Kandha Harey Kandha Haro Hara
Harey Shanmukha Harey Shanmukha Harey Shanmukha Haro Hara
Harey Vela Harey Vela Harey Vela Haro Hara
Harey Muruga Harey Muruga Om Muruga Haro Hara

हरे मुरूगा हरे मुरूगा शिवा कुमारा हरो हरा
हरे कंधा हारे कंधा हारे कंधा हरो हरा
हरे षण्मुखा हारे षण्मुखा हारे षणमुखा हरो हरा
हरे वेला हरे वेला हारे वेला हरो हरा
हरे मुरूगा हरे मुरूगा ऊं मुरूगा हरो हरा

cccपार्वती जी के मंत्र (Mantra of Parvati ji in Hindi)

पार्वती जी की पूजा करते समय प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः’’
‘ऊँ गौरये नमः

Parvati ji ki puja karate samay unhe prasanna karane ke liye is mantra ka jaap karana chahiye-

Om umamahesvarabhyam Namah
Om gaurye Namah

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शिव और पार्वती जी को एक साथ प्रसन्न कर इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः’
’’ऊँ पार्वत्यै नमः

Shiv aur parvati ji ko ek sath prasanna kar icchaon ki purti ke liye is mantra ka jaap karan chahiye-

Om samba Shivaya namah
Om parvatyai namah

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घर में सुख- शांति (Mantra for Happiness in Family) बनाए रखने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

'मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि'।

Ghar me sukh- shanti banaye rakhane ke liye is mantra ka jaap karana chahiye-

Muni anusasana ganapati hi pujehu sambhu bhavani
Kou suni sansaya karai jani sur anadi jiya jaani

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इच्छा अनुसार वर (Mantra for marriage) पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

Iccha anusara vara (dulha) pane ke liye is mantra ka jaap karana chahiye-

He gauri sankarardhangi. yatha tvam sanskara priya.
Tatha mam kuru kalyani, kaanta kantam sudurlabha

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कार्य में सफलता (Mantra for Success in hindi) प्राप्ति हेतु देवी पार्वती के इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।

Karya me saphalata prapti hetu devi parvati ke is mantra ka jaap karana chahiye-

Om hlim vagvadini bhagavati mam karya siddhi kuru kuru phat svaha.

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इच्छित वर- वधू की प्राप्ति के लिए स्वयंवर कला पार्वती मंत्र (Parvati Mantra for Best Husband or Wife) का करना चाहिए-

अस्य स्वयंवरकलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, अतिजगति छन्दः, देवीगिरिपुत्रीस्वयंवरादेवतात्मनोऽभीष्ट सिद्धये मंत्र जपे विनियोगः।

icchit var ya vadhu ki prapti ke liye Svayamvara klaa parvati mantra ka jaap karana chahiye-

Asya svayanvarakalamantrasya brahma rishi atijagati chandah, devigiriputrisvayanvaradevatatmanobhista siddhaye mantra jape viniyogah