Monday, 9 December 2019
15:53:00
श्री सत्यानारयण जी की आरती (Aarti of Shri Satya Narayan ji in Hindi)
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा |
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा
रत्नजडित सिंहासन , अद्भुत छवि राजें |
नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
प्रकट भयें कलिकारण ,द्विज को दरस दियो |
बूढों ब्राम्हण बनके ,कंचन महल कियों ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
बूढों ब्राम्हण बनके ,कंचन महल कियों ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी |
च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
वैश्य मनोरथ पायों ,श्रद्धा तज दिन्ही |
सो फल भोग्यों प्रभूजी , फेर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
सो फल भोग्यों प्रभूजी , फेर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
भाव भक्ति के कारन .छिन छिन रुप धरें |
श्रद्धा धारण किन्ही ,तिनके काज सरें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
श्रद्धा धारण किन्ही ,तिनके काज सरें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ग्वाल बाल संग राजा ,वन में भक्ति करि |
मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
चढत प्रसाद सवायों ,दली फल मेवा |
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे |
ऋद्धि सिद्धी सुख संपत्ति सहज रुप पावे ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ऋद्धि सिद्धी सुख संपत्ति सहज रुप पावे ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा ॥
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा ॥
Thursday, 5 December 2019
04:08:00
पार्वती जी की
आरती
जय पार्वती माता जय
पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभफल
की दाता ।।
अरिकुलापदम
बिनासनी जय सेवक्त्राता,
जगजीवन जगदंबा हरिहर गुणगाता
।।
सिंह को बाहन
साजे कुण्डल हैं
साथा,
देबबंधु जस गावत
नृत्य करा ताथा
।।
सतयुगरूपशील
अतिसुन्दर नामसतीकहलाता,
हेमाचल घर जन्मी
सखियन संग राता
।।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमाचल
स्थाता,
सहस्त्र भुजा धरिके
चक्र लियो हाथा
।।
सृष्टिरूप तुही है
जननी शिव संगरंग
राता,
नन्दी भृंगी बीन लही
है हाथन मद
माता ।।
देवन अरज करत
तब चित को
लाता,
गावन दे दे
ताली मन में
रंगराता ।।
श्री प्रताप आरती मैया
की जो कोई
गाता ,
सदा सुखी नित
रहता सुख सम्पति
पाता ।।
Tuesday, 16 August 2016
आरती देवी अन्नपूर्णा जी की
11:46:00
आरती देवी अन्नपूर्णा जी की
Annapoorana Devi Aarti in Hindi
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार
प्रणाम...
जो नहीं ध्यावे
तुम्हें अम्बिके, कहां उसे
विश्राम।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम।
सुर सुरों की रचना
करती, कहाँ कृष्ण
कहाँ राम॥ बारम्बार...
चूमहि चरण चतुर
चतुरानन, चारु चक्रधर
श्याम।
देवि देव! दयनीय
दशा में दया-दया तब
नाम।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल
शरण रूप तब
धाम॥ बारम्बार...
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री
ऐ विद्या श्री
क्लीं कमला काम।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू
निष्काम॥ बारम्बार...
श्री सरस्वती जी की आरती
11:15:00
श्री सरस्वती जी की आरती
Shri Saraswati Aarti in Hindi
कज्जल पुरित लोचन भारे, स्तन युग शोभित मुक्त हारे |
वीणा पुस्तक रंजित हस्ते, भगवती भारती देवी नमस्ते॥
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
दगुण वैभव शालिनी ,त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
चंद्रवदनि पदमासिनी , घुति मंगलकारी ||
सोहें शुभ हंस सवारी,अतुल तेजधारी |
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता ||
बायेँ कर में वीणा ,दायें कर में माला |
शीश मुकुट मणी सोहें ,गल मोतियन माला ॥
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
देवी शरण जो आयें ,उनका उद्धार किया ||
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया |
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता ||
विद्या ज्ञान प्रदायिनी , ज्ञान प्रकाश भरो |
मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो ||
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
धुप ,दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो ||
ज्ञानचक्षु दे माता , भव से उद्धार करो |
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता ||
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें |
हितकारी ,सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥
सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी ,त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |
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श्री-संकटमोचन-हनुमानाष्टक
09:54:00
श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक
Sankatmochan Hanumanashtak
बाल समय रवि
भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो
अँधियारो I
ताहि सो त्रास
भयो जग को,
यह संकट काहू
सो जात न
टारो II
देवन आनि करी
बिनती तब, छाड़
दियो रवि कष्ट
निवारो I
बालि की त्रास
कपीस बसे गिरि,
जात महा प्रभु
पंथ निहारो I
चौंकि महा मुनि
श्राप दियो तब,
चाहिये कौन बिचार
बिचारो II
कै द्विज रूप लिवाय
महाप्रभु, सो तुम
दास के शोक
निवारो I
को नहीं जानत
है जग में
कपि, संकट मोचन
नाम तिहारो II
अंगद के संग
लेन गये सिया,
खोज कपीस यह
बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ
हम सो जो,
बिना सुधि लाये
यहाँ पगु धारौ
II
हेरि थके तट
सिन्धु सबै तब,
लाये सिया सुधि
प्राण उबारो I
रावण त्रास दई सिया
को तब, राक्षसि
सों कहि शोक
निवारो I
ताहि समय हनुमान
महाप्रभु, जाय महा
रजनी चर मारो
II
चाहत सिया अशोक
सों आगि सु,
दें प्रभु मुद्रिका
शोक निवारो I
को नहीं जानत
है जग में
कपि, संकट मोचन
नाम तिहारो II
बाण लाग्यो उर लक्ष्मण
के तब, प्राण
तज्यो सुत रावण
मारो I
ले गृह वैद्य
सुषेन समेत, तबै
गिरि द्रोण सो
वीर उपारो II
आनि सजीवन हाथ दई
तब, लक्ष्मण के
तुम प्राण उबारो
I
रावण युद्ध अजान कियो
तब, नाग कि
फाँस सबै सिर
दारो I
श्री रघुनाथ समेत सबै
दल, मोह भयो
यह संकट भारो
II
आनि खगेस तबै
हनुमान जु, बंधन
काटि सुत्रास निवारो
I
को नहीं जानत
है जग में
कपि, संकट मोचन
नाम तिहारो II
बंधु समेत जबै
अहिरावण, लै रघुनाथ
पातळ सिधारो I
देविहिं पूजि भलि
विधि सो बलि,
देउ सबै मिलि
मंत्र विचारो II
जाय सहाय भयो
तब ही, अहिरावण
सैन्य समेत संघारो
I
काज किये बड़
देवन के तुम,
वीर महाप्रभु देखि
बिचारो I
कौन सो संकट
मोर गरीब को,
जो तुम सों
नहिं जात है
टारो II
बेगि हरो हनुमान
महाप्रभु, जो कछु
संकट होय हमारो
I
को नहीं जानत
है जग में
कपि, संकट मोचन
नाम तिहारो II
लाल देह लाली
लसे ,अरु धरि
लाल लंगूर I
बज्र देह दानव
दलन,जय जय
जय कपि सूर
II
श्री-राम-सम्पूर्ण-चालीसा
09:32:00
|| श्री राम चालीसा ||
(Shri Ram Chalisa in Hindi)
श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥1॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥2॥
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥3॥
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥4॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥5॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥6॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥7॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥8॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥9॥
महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥10॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥11॥
सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥12॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥13॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥14॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥15॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥16॥
जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥17॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥18॥
सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥19॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥20॥
और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥21॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥22॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥23॥
॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
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